Tuesday, September 17, 2013

विश्वकर्मा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं :-

विश्वकर्मा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं :-
भारतीय समाज में हर कर्म और वस्तु का एक देवता माना जाता है. चाहे पेड़ हो या वस्तु सभी को हम समान महत्व देते हैं. इसी क्रम में भगवान विश्वकर्मा को यंत्रों का देवता माना जाता है. वर्तमान भौतिक युग यंत्र प्रधान है. यंत्र के अधिष्ठाता के रूप में भगवान विश्वकर्मा की मान्यता रही है. अनेक शास्त्रों में इनकी स्तुति की गई है. भगवान विश्वकर्मा ने मानव को सुख-सुविधाएं प्रदान करने के लिए अनेक यंत्रों शक्ति संपन्न भौतिक साधनों का प्रादुर्भाव किया. इनके द्वारा मानव समाज भौतिक चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर रहा है. प्राचीन शास्त्रों में वैमानकीय विद्या, नवविद्या, यंत्र निर्माण विद्या आदि का भगवान विश्वकर्मा ने उपदेश दिया है. अत: भौतिक जगत में भगवान विश्वकर्मा उपकारक देव माने गए हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिल्प की जयंती विधि-विधान से मनाने से जटिल मशीनरी कार्यो में सफलता मिलती है.

माना जाता है प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थी उन्हें भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था. विश्वकर्मा पूजा के दिन खास तौर पर औद्योगिक क्षेत्रों में, फैक्ट्रियों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर आदि में पूजा होती है. इस दिन मशीनों को साफ किया जाता है. उनका रंग रोगन होता है और पूजा की जाती है. इस दिन ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं क्यूंकि विश्वकर्मा पूजन के दिन मशीनों पर काम करना वर्जित माना जाता है.

...............................-------------------------------------रामेश्वरम धाम,सिंगारपुर,लखीसराय - बिहार


Monday, September 9, 2013

हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी ........


सभी श्रद्धालुओं को गणेशचर्तुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं .....
                                    
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी मनाया जाता है. गणेश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करनेवाले, कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश का आविर्भाव हुआ था. भगवान विनायक के जन्मदिवस पर मनाया जानेवाला यह महापर्व महाराष्ट्र सहित भारत के सभी राज्यों में हर्सोल्लास पूर्वक और भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है. इस महापर्व पर लोग प्रातः काल उठकर सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करते हैं. पूजन के पश्चात् नीची नज़र से चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को दक्षिणा देते हैं. इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है.
कथानुसार एक बार मां पार्वती स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसका नाम गणेश रखा. फिर उसे अपना द्वारपाल बना कर दरवाजे पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गई. थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और द्वार के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया. इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश के सिर को काट दिया और द्वार के अन्दर चले गए. जब मां पार्वती ने पुत्र गणेश का कटा हुआ सिर देखा तो अत्यंत क्रोधित हो गई. तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनको शांत किया और भोलेनाथ से बालक गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया. महामृत्युंजय रूद्र उनके अनुरोध को स्वीकारते हुए एक गज के कटे हुए मस्तक को श्री गणेश के धड़ से जोड़ कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया.

........................-----------------------------------रामेश्वरम धाम,सिंगारपुर,लखीसराय - बिहार